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तर्क के खूँटे से…

जयंत पवार

प्रकाशक : सेतु प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2021
पृष्ठ :288
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15773
आईएसबीएन :9789391277444

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मराठी के अग्रणी कहानीकार जयंत पवार को ये लंबी कहानियाँ हाशिये बाहर के आदमी को आस्था तथा सम्मान के साथ केंद्र में रख कर मानवीयता के चरम बिंदु पर जाकर लिखी गयी जीवन गाथाएँ हैं।

ये कहानियाँ सत्ता, शोषण और साहित्य के अंतर्सबंधों की सही परख की खोज का प्रयास करती हैं। इसलिए सत्ता से निरंतर दूर रखे गये आदमी के जीवन की त्रासदियों को केंद्र में रखती हैं। शहरी परिवेश को भरी-पूरी दुनिया में साधनहीन आदमी के अकेलेपन का विकराल रूप इन कहानियों में दिखाई देता है।

जयंत पवार कहानी को मानव जीवन की जटिलता से और विषमता से जूझने का हथियार मानते हैं। मिथकों की संरचना भी सत्ता का एक रूपक होता है, यह जान कर वे मिथकों की रचना पर सवाल उठते हैं और उनसे अलग अर्थ प्रसृत करवाते हैं। कहानी के शिल्प पर भी सवाल उठाने से वे परहेज नहीं करते।

संगीत के बड़े ख्याल को धीमी लय में लिखी गयीं ये कहानियाँ विस्तार से तथा सूक्ष्मता से मनुष्यता का आलाप गाकर मन में गहरी पैठ लेती हैं। समकालीन जीवन की व्यामिश्रता का बखान करती ये कहानियाँ आधुनिक भारतीय कहानी की पहचान का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं।

मराठी-हिंदी के दो-तरफा अनुवादक डॉ. गोरख थोरात ने इन कहानियों का अनुवाद कर मराठी कहानी के प्रगतिगामी पक्ष को उजागर किया है।

 प्रफुल्ल शिलेदार

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